फसल सुधार विभाग
उपोष्ण क्षेत्र के गन्ना किस्मों के मूल्यांकन के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र के रूप में गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर के नियंत्रण के तहत वनस्पति विज्ञान और प्रजनन अनुभाग के रूप में एक इकाई भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में स्थापित की गई थी। वर्ष 1969 में इस इकाई को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में स्थानांतरित किया गया। इस विभाग को उपोष्णकटिबंध भारत में गन्ने एवं चुकंदर के पारगमन के आनुवांशिक मूल्यांकन और उनके जननद्रव्य मूल्यांकन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। बाद में इस विभाग को वनस्पति और प्रजनन विभाग का नाम दिया गया। इसके बाद 1989 में फसल सुधार विभाग के रूप में पुनः नामित किया गया। संस्थान के शासनादेश के अनुसार इस विभाग ने उपोष्णकटिबंध में चीनी फसलों (गन्ना और चुकंदर) पर मौलिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान, जर्मप्लाज्म के मूल्यांकन, संवर्धन और किस्म सुधार के लिए शुभारंभ किया।
मैनडेट
- उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र के लिए बेहतर गन्ने की किस्मों का विकास।
- उत्तर भारतीय परिस्थितियों के लिए गन्ना जनन द्रव्यों का मूल्यांकन और प्रलेखन।
- विशिष्ट विशेषताओं के लिए प्रजनन और आनुवंशिक का विकास।
- गन्ने में सुधार के लिए जैव प्रौद्योगिकी पद्धति का उपयोग।
लक्ष्य (मिशन)
- उच्च चीनी उत्पादकता के लिए लाल सड़न रोग प्रतिरोधी गन्ने की किस्मों को विकसित करना।
प्रमुख क्षेत्र
- उपोष्णकटिबंधीय भारत के लिए उपयुक्त प्रजातियों को विकसित करना
- सैकेरम जटिल जीन अंतर्गमन के माध्यम से आर्थिक महत्व के लक्षण में आनुवांशिक वृद्धि करना
- जैव प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से प्रजनन क्षमता बढ़ाना
- भारतीय कृषि जलवायु के लिए चुकंदर प्रजनन एवं इसका अनुकूलन
सम्पर्क |
डॉ संजीव कुमार, प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष ई-मेल: sanjeev.kumar6@icar.gov.in, मो: 9450356968 |