संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियां
CoLk 94184, एक जल्दी परिपक्व होने वाली गन्ना किस्म |
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संस्थान ने एक उच्च चीनी उपज गन्ना किस्म, CoLk 94184 (बीरेंद्र) विकसित की, जो देश के उत्तर मध्य क्षेत्र (पूर्वी यू.पी. और बिहार) में वाणिज्यिक खेती के लिए जारी किया गया है। CoLk 94184 दो वांछनीय विशेषताओं का एक दुर्लभ संयोजन है, अर्थात्, जल्दी परिपक्वता और अच्छी पेड़ी उत्पादन क्षमता। इस किस्म से इस क्षेत्र में कम गन्ने और खराब गन्ने की किस्मों की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी। CoLk 94184 किस्म नमी तनाव और जलभराव दोनों का सामना कर सकती है, इसलिए, यह यू पी और बिहार में चीनी की वसूली और गन्ना उत्पादन को बढ़ावा देने में सक्षम है। औसतन किसान प्रति हेक्टेयर 76 टन गन्ने की कटाई कर सकते हैं। | ![]() |
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अंतराल रोपाई तकनीक (एसटीपी) |
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एक साथ किल्ले निकलने तथा गन्ना बीज के शीघ्र बहुगुणन हेतु संस्थान द्वारा स्पेस्ड ट्रांसप्लांटिंग तकनीक (एस.टी.पी.) विकसित की गई है। इस तकनीक से बीज बहुगुणन अनुपात 1:10 से 1:40 तक बढ़ाया जा सकता है। इस तकनीक के प्रयोग से नवीनतम विकसित प्रजातियों के तीव्र प्रसार में कई स्थानों पर सफलता मिली है। | ![]() |
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तीन स्तरीय बीज कार्यक्रम |
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यह कार्यक्रम गन्ना उत्पादकों को रोग मुक्त स्वस्थ बीज प्रदान करता है। यह पूरे देश में लोकप्रिय हो गया है। नम गर्म हवा उपकरण (एमएचएटी) की रूपरेखा इस संस्थान में ही विकसित की गई है और इसे अनेक चीनी मिलों में स्थापित भी किया गया है। इस विधि ने गन्ना उत्पादन में टिकाऊपन बनाए रखने की अपनी उपयोगिता को साबित कर दिया है। | ![]() |
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गन्ने में अन्तः फसल के लिए प्रौद्योगिकी पैकेज |
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गन्ना+आलू
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गन्ना+राजमा
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गन्ना+सरसों
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गन्ना+गेहूं
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गन्ना रोपण के संशोधित तरीकों के लिए प्रौद्योगिकी पैकेज |
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गड्ढा विधि
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नाली (ट्रेंच) विधि
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फर्ब विधि द्वारा बुवाई
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गन्ना पेंडी प्रबंधन हेतु प्रौद्योगिकी |
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सिंचाई की उभरी कूड विधि–गन्ना उत्पादन की सिंचाई जल बचत तकनीक |
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गन्ने के अंकुरण के बाद (रोपण के 35-40 दिनों के बाद) 45 सेमी चौड़ा और 15 सेमी गहरी एकांतर पंक्तियों में कूड बनाए जाते हैं। इससे 36.5% सिंचाई के पानी की बचत होती है और 64% पानी के उपयोग की क्षमता में सुधार होता है। | ![]() |
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खरपतवार प्रबंधन |
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कर्षण तथा रसायनिक विधियों को समाहित करते हुए खरपतवार प्रबंधन कि एक प्रभावी समेकित विधि विकसित की गई है। इसमें प्रथम सिंचाई के बाद एक निकाई-गुड़ाई तथा द्वितीय सिंचाई के बाद एट्राजीन कि 2 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व/हैक्टेयर की दर से प्रयोग किया जाता है। इस प्रबंधन से खरपतवारों की वृद्धि को नियंत्रित करने में अति प्रभावी सफलता मिली (खरपतवार नियंत्रण दक्षता 97-100 प्रतिशत), तथा गन्ने की उपज में वृद्धि तथा निकाई-गुड़ाई की तुलना में लागत में 50 प्रतिशत की बचत होती है। अंकुरण के पूर्व मेट्रिब्यूजिन की एक कि.ग्रा. सक्रिय तत्व प्रति हैक्टेयर अथवा एमेट्रीन 2 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व/हैक्टेयर अथवा एट्राजीन 2 कि.ग्रा. सक्रिय तत्व/हैक्टेयर तथा बुवाई के 60 दिनों बाद 2-4 डी की एक कि.ग्रा. सक्रिय तत्व/हैक्टेयर के साथ बुवाई के 90 दिनों बाद एक निकाई-गुड़ाईं गन्ने में खरपतवार प्रबंधन हेतु प्रभावी एवं मितव्ययी तकनीक पाई गई है। | ||
रोग प्रबंधन |
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सामान्य | ||
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गन्ने का लाल सड़न | ||
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स्मट | ||
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विल्ट | ||
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आर.एस.डी | ||
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मोजैक | ||
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घासी प्ररोह बीमारी | ||
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कीट पतिंगो का प्रबंधन |
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सामान्य | ||
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पायरिला | ||
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ऊनी माहू | ||
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प्ररोह तथा पोरी बेधक | ||
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शीर्ष बेधक और सफ़ेद कीड़ा | ||
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दीमक, अगेती प्ररोह बेधक और मूल बेधक | ||
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चूहे | ||
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चुकंदर की खेती हेतु सस्य-क्रियाएँ |
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गन्ना कृषि का मशीनीकरण |
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रिजर टाइप सुगारकेन कटर-प्लांटर | ||
ट्रैक्टर चालित रिजर टाइप सुगरकेन कटर-प्लांटर 75/90 से.मी. की दूरी पर गन्ने की बुवाई में समाहित सभी प्रमुख कार्यों का सफलतापूर्वक निष्पादन करता है तथा इस यंत्र द्वारा एक हैक्टयर क्षेत्र की बुवाई 4-5 घंटे में हो जाती है तथा यह यंत्र बुवाई क्रियाओं में लगने वाली लागत में 60 प्रतिशत की बचत करता है। | ![]() |
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तीन पंक्ति बहुउद्देशीय गन्ना कटर-प्लांटर | ||
खेत पर चलने वाले पहियों (ग्राउन्ड व्हील) से संचालित तीन-पंक्ति बहुउद्देशीय गन्ना कटर-प्लांटर 75 से.मी. की दूरी पर गन्ने की बुवाई हेतु सभी कार्यों का सुगमतापूर्वक निष्पादन करने में कारगर है। एक हैक्टेयर क्षेत्र में इस यंत्र द्वारा प्रभावी बुवाई क्षमता 3.5 से 4.0 घंटे है तथा इस यंत्र के प्रयोग से बुवाई पर मानव श्रम में लगने वाली 70 प्रतिशत लागत की बचत की जा सकती है। |
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युगलपंक्ति गन्ना कटर-प्लांटर | ||
ट्रैक्टर शक्ति द्वारा संचालित युगलपंक्ति गन्ना कटर-प्लांटर को युगलपंक्ति ज्यामितीय (30 से.मी. दूरी) के अन्तर्गत गन्ने की बुवाई हेतु विकसित किया गया है। इस युगलपंक्ति के बाद की दूरी में भिन्नता भी रखी जा सकती है। एक हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हेतु इस यंत्र की प्रभावी क्षमता 4-5 घंटे है तथा इससे बुवाई करके बुवाई कार्यों में लगने वाली लागत में लगभग 60 प्रतिशत तक बचत की जा सकती है। |
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शून्य-कर्षण गन्ना कटाई-रोपाई यंत्र | ||
(पीटीओ) संचालित ‘शून्य-कर्षण गन्ना-कटाई-रोपाई यंत्र’ जो गन्ने की रोपण के लिए सभी क्रियाओ के साथ 75/90 सेमी अंतराल पर गन्ना बुवाई हेतु विकसित किया गया। बाद में जोड़ी पंक्तियों के बीच की दूरी को कम व ज्यादा किया जा सकता है। यह 4-5 घंटे में एक हेक्टेयर के रोपण की प्रभावी क्षमता रखता है और लगभग रोपण लागत 60% बचाता भी है। यह बीज शैया निर्माण की लागत को भी बचाता है। |
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दो-पंक्तियों में गड्ढाखुदाई यंत्र | ||
यह यंत्र 25-30 सेमी गहरे, 70 सेमी व्यास वाले 30 सेमी अंतराल पर वृत्ताकार गड्ढे वलय गड्ढा पद्धति में गन्ना बोने हेतु विकसित किया गया। यह 150 गड्ढ़े / घंटा (0.017 हेक्टर/घंटा) की खुदाई की दर से प्रभावी क्षमता रखता है और 400 मानव दिवस/हैक्टर बचाता है। मानव खुदाई की तुलना में यह 70% गड्ढा खुदाई लागत बचाता है। | ![]() |
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रेज्ड बेड सीडर | ||
17 से.मी. पर गेहूँ की बुवाई हेतु तीन उठी हुई बीज शैय्याओं (2 पूर्ण शैय्याओं व 2 आधी शैय्याओं) तथा अवश्यकतानुसार गन्ने की बुवाई हेतु 75 से.मी. की दूरी पर तीन कूँड़ो के बनाने हेतु रेज्ड बेड सीडर का विकास किया गया है। इसकी प्रभावी क्षमता 0.35-0.40 हेक्टेयर/घण्टा है। |
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रेज्ड बेड सीडर-कम-शुगरकेन कटर प्लांटर | ||
इस यंत्र का विकास नालियों में गन्ने की दो पंक्तियों को बोने तथा गेहूँ की दो पंक्तियों को उठी हुई क्यारियों पर अंतरसस्य फसल के रूप में बुवाई हेतु विकसित किया गया है। इसकी प्रभावी क्षमता 0.20-0.25 हेक्टेयर/घण्टा है तथा इसके प्रयोग से लगभग 60 प्रतिशत बुवाई लागत की बचत की जा सकती है |
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पेड़ी प्रबंधन यंत्र | ||
पेड़ी प्रबंधन यंत्र (आर.एम.डी.) पेड़ी फसल के प्रबंधन में किए जाने वाले सभी कार्यों जैसे ठूँठों की छटाई, उसके आस-पास की निराई-गुड़ाई, पुरानी जड़ें काटने, खाद, उर्वरक व जैवकारकों तथा द्रवीय रसायनों का प्रयोग तथा मिट्टी चढ़ाने इत्यादि को एक बार में ही निष्पादित कर देता है। इस यंत्र की क्षमता 0.35-0.40 हेक्टेयर/घण्टा है तथा इस यंत्र के प्रयोग से लागत के खर्चो को 60 प्रतिशत तक बचाया जा सकता है। | ![]() |
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