भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केन्द्र, मोतीपुर (बिहार)
यह केन्द्र, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ की एक इकाई है। इस अनुसंधान केन्द्र की स्थापना वर्ष 1988 में की गयी थी जो मुजफ्फरपुर, मोतीहारी राष्ट्रीय उच्च मार्ग संख्या 28 पर मुजफ्फरपुर से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस अनुसंधान केन्द्र पर भारत वर्ष के उत्तरी-केन्द्रीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले राज्यों यथा बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल की जलवायु के अनुरूप गन्ने के उपयुक्त एवं उत्तम प्रजातियों, उत्पादन, पादप सुरक्षा तथा मशीनीकरण तकनीकियों को विकसित करने की दिशा में अनुसंधान कार्य सम्पादित किया जाता है। यह अनुसंधान केन्द्र गन्ना के जेनेटिक स्टाक से कीट-व्याधि अवरोधी, जल जमाव तथा सूखा सहन करने वाले प्रजातियों को विकसित करने की दिशा में सतत् प्रयत्नशील है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केन्द्र, मोतीपुर द्वारा देश के उत्तरी केन्द्रीय राज्यों के लिए कई गन्ने की प्रजातियां विकसित की गई हैं :
तालिका-मोतीपुर केन्द्र द्वारा उत्तरी केन्द्रीय राज्यों हेतु विकसित गन्ने की प्रजातियां
प्रजाति | निकलने का साल | गन्ने की उपज (टन/हे.) | सुक्रोज की मात्रा | प्रजाति | निकलने का साल | गन्ने की उपज (टन/हे.) | सुक्रोज की मात्रा |
को 87263 (सरयु) | 2000 | 66.3 | 17.4 | को 0232 (कमल) | 2009 | 75.0 | 17.4 |
को 87268 (मोती) | 2000 | 78.9 | 17.5 | को 0233 (कोसी) | 2009 | 77.0 | 17.3 |
को 89029 (गण्डक) | 2001 | - | - | को लख 12207 (इक्षु 6) | 2018 | 75.42 | 16.90 |
को लख 94184 (बीरेन्द्र) | 2008 | 80.0 | 17.5 | को लख 12209 (इक्षु 7) | 2018 | 77.50 | 17.66 |
इस केन्द्र में मृदा के नमूनों का विश्लेषण किया जाता है। इसके साथ ही प्रजनक बीज के अन्तर्गत क्षेत्रों की भी मृदा के स्वास्थ्य का विश्लेषण किया जाता है जिससे अधिक उपज प्राप्त हो सके। इस केन्द्र में सन् 2016 से अब तक 393 मृदा के नमूनों का विश्लेषण किया जा चुका है जो छह जिलों तथा 27 तहसील को व्यापित करता है। यह केन्द्र किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी प्रदान करता हैं जिससे किसान अपने मृदा की उर्वरता के अनुसार रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर के अधिक लाभ प्राप्त कर सके।
क्षेत्रीय केन्द्र मोतीपुर में संस्थान द्वारा विकसित तीन कढ़ाही तकनीक की एक इकाई मार्च 2016 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह जी, भाकृअनुप गणमान्य अधिकारी, नई दिल्ली तथा संस्थान के निदेशक और अन्य वैज्ञानिकों की उपस्थिति में इस तकनीक का उद्घाटन एवं सफल प्रदर्शन किसान हेतु किया गया। क्षेत्रीय केन्द्र संस्थान के द्वारा विकसित गुड़ उत्पादन तकनीक के प्रचार प्रसार हेतु केन्द्र पर किसानों को आमन्त्रित करती है तथा बिना रसायन पदार्थों का उपयोग किये हुए साफ एवं उच्च गुणवत्ता सहित गुड़ उत्पादन का प्रदर्शन गुड़ बनाते हुये करती है जिससे किसानों को प्रयोगात्मक अनुभव भी हो सके।
यह केन्द्र केवल किसानों के लिए ही कार्य नहीं करता अपितु चीनी मिलों के लिए भी करता है। इस केन्द्र के वैज्ञानिक समय पर चीनी मिलों में जा कर वहाँ पर पेरे जाने वाले गन्नों को देखते हैं तथा चीनी परता को बढ़ाने हेतु उपाय बताते हैं। साथ ही अच्छी गन्ने की प्रजातियों के जानकारी देते है जिससे कृषकों व मिलों दोनो को लाभ मिले। इसके अतिरिक्त वह चीनी मिलों को अन्य उप-उत्पादों का बारे में भी जानकारी देते है जो गन्ने से बनाये जा सकते हैं और उनकी आय को और बढ़ा सकते है ।
इस क्रेन्द्र से स्वस्थ्य अधिक उपज देने वाले गन्ने के बीजों का वितरण हर साल चीनी मिल क्षेत्र व आसपास के किसानों को किया जाता है इसी श्रृखंला में यहाँ से विकसित की गयी प्रजातियों के बीज की मांग गन्ना बावक मौसम में अधिक हो जाती है।
मिशन
उत्तर मध्य क्षेत्र के गन्ना उत्पादकता में वृद्धि करना।
उदेश्य
- उत्तर मध्य क्षेत्र के लिए जल भराव सहिष्णु और लाल सड़न प्रतिरोधी गन्ने की किस्में विकसित करना
- जल भराव सहिष्णुता और लाल सड़न प्रतिरोध के लिए कुलीन सामग्री का मूल्यांकन
- गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन
- गन्ने की फसल के लिए नवीनतम तकनीकों का प्रसार
मुख्य क्षेत्र
- भारत के उत्तर मध्य क्षेत्र के लिए गन्ने की किस्मों का विकास
- लाल सड़न के प्रतिरोध के लिए गन्ना जर्मप्लाज्म/कुलीन लाइनों को मूल्यांकन
- जल भराव के प्रति सहिष्णुता के लिए गन्ना जर्मप्लाज्म/कुलीन का मूल्यांकन
- नए एग्रोटेक्निक और मशीनीकरण के लिए चीनी कारखाने के व्यक्तिगत/गन्ना उत्पादकों का प्रशिक्षण
- गुणवत्तापूर्ण गन्ने के बीज का उत्पादन
- चीनी मिलों के क्षेत्रों में गन्ने की खेती की व्यवहार्यता
सम्पर्क |
डॉ ए के मल, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी ईमेल: ashutosh.mall@icar.gov.in, मो: 8009052220 |