पादप दैहिकी एवं जैव रसायन विभाग
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में पादप कार्यिकी एवं जैव-रसायन विभाग की स्थापना सितंबर, 1958 में एक अनुभाग के रूप में हुई। वर्ष 1976 में एक वरिष्ठ जैव-रसायनज्ञ के सम्बद्ध करने के बाद यह अनुभाग एक विभाग के रूप में स्वीकृत किया गया। इस विभाग की आधारशिला गन्ना के बीज अंकुरण के जैव रसायन कारक, कल्ले निकालना, शुष्क पदार्थ का संचयन, शर्करा का भंडारण एवं परिपक्वता से संबन्धित मुद्दों पर अनुसंधान करने हेतु रखी गई। वैकल्पिक बीज (एसटीपी एवं बड चिप) के विकास, कर्यिकीय दक्षता में सुधार, सुक्रोज़ के चयापचन, सुक्रोज़-सिंक डायनामिक्स, अजैवीय दबावों से संलग्नित परिलक्षणों तथा ट्रांसक्रिप्टोमिक्स एवं प्रोटियोमिक्स के विशिष्ट संदर्भ में जलवायु प्रतिरोधक क्षमता के द्वारा गन्ना एवं चीनी की उत्पादकता में व्रद्धि इस विभाग की प्रमुख गतिविधियां रही। चीनी की परता में सुधार तथा गन्ने के शेष उत्पाद के उपयोग हेतु फ़सलोपरांत प्रबंधन तथा लिग्नोंसेल्यूलोसिक जैव-पदार्थ का बायोइथोनाल में रूपान्तरणपर शोध कार्य क्रमश: जारी है। इसके साथ-साथ विभाग छात्रों एवं गन्ने से संबन्धित कर्मियों को प्रशिक्षण भी देता है।
उपोष्ण कटिबन्ध क्षेत्र में गन्ने एवं चीनी की उत्पादकता के मुख्य अवरोधों को दूर करने के लिए “कार्यकीय-जैवरसायन” एवं “ओमिक्स” एप्रोचेज के द्वारा जलवायु परिवर्तन के परिदृश्य में गन्ने एवं चीनी की उत्पादकता के अवरोधों, जैविक एवं अजैविक दबावों पर ध्यान देना आज पादप कार्यिकी एवं जैव-रसायन विभाग का मुख्य लक्ष्य है।
अधिदेश
- गन्ना और चीनी उत्पादकता में वृद्धि हेतु वैकल्पिक बीज सामग्री का विकास, कार्यिकी दक्षता में सुधार, सुक्रोज चयापचय, स्रोत-सिंक गतिकी, अजैविक दबाव और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में ट्रांस्क्रिप्टोमिक्स एवं प्रोटिओमिक्स अध्ययन।
- कटाई के बाद प्रबंधन से सुक्रोज में सुधार और लिग्नोसेल्युलोजिक बायोमास को बायोइथेनाल में परिवर्तित करने हेतु गन्ने की खोई के उपयोग।
सम्पर्क |
डॉ मनोज कुमार श्रीवास्तव, प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष ईमेल: manoj.srivastava@icar.gov.in, मो: 9450067179 |